Facts About Shodashi Revealed

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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥

बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।

Goddess is commonly depicted as sitting around the petals of lotus that is certainly stored on the horizontal system of Lord Shiva.

Charitable acts which include donating food and dresses into the needy also are integral to your worship of Goddess Lalita, reflecting the compassionate aspect of the divine.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१२॥

The Saptamatrika worship is especially emphasised for those trying to find powers of Manage and rule, and also for the people aspiring to spiritual liberation.

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम click here करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥

दुष्टानां दानवानां मदभरहरणा दुःखहन्त्री बुधानां

कर्तुं मूकमनर्गल-स्रवदित-द्राक्षादि-वाग्-वैभवं

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥

हादिः काद्यर्णतत्त्वा सुरपतिवरदा कामराजप्रदिष्टा ।

Her narratives generally spotlight her position while in the cosmic struggle in opposition to forces that threaten dharma, therefore reinforcing her position as being a protector and upholder on the cosmic buy.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥

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